ब्यूरोक्रेसी ने मोदी को फिर शर्मसार किया

Publsihed: 22.Jul.2021, 18:50

अजय सेतिया पंजाब से खबर आई है कि मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह राजनीतिक लड़ाई हार गए हैं | कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही नवजोत सिंह सिद्धू ने बुधवार को अपने अमृतसर वाले घर में शक्ति प्रदर्शन किया | जिसमें कांग्रेस के 77 में से 62 विधायकों के पहुंचने का दावा किया गया | जिसमें चार मंत्री और सुनील जाखड भी मौजूद थे , जिन्हें हटा कर राहुल गांधी ने उन्हें अध्यक्ष बनाया है | आखिर ऐसा कैसे हुआ | तो इस की वजह यह है की अमरेन्द्र सिंह राजाओं की तरह सरकार चला रहे थे | वह अपने आईइएस बाबुओं पर ज्यादा भरोसा करते थे , अपने मंत्रियों और विधायकों की सुनते ही नहीं थे | लोकतंत्र में यह नहीं चलता | चुन कर आए विधायक कुंठित थे , जैसे ही मौक़ा मिला अमरेन्द्र सिंह को छोड़ कर सिद्धू के साथ हो लिए | वह नेता लंबे समय तक नेता नहीं रह सकता , जो बाबुओं के बूते सरकार चलाने की कोशिश करता है | संविधान निर्माताओं ने ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी | बाबुओं पर भरोसा कर के चुने हुए नुमाईन्दों की उपेक्षा करने वाले मुख्यमंत्री ज्यादा नहीं चलते | अगर हाईकमान उन के पर नहीं कुतरे , तो जनता कुत्तर देती है | यह बात भाजपा और कांग्रेस दोनों पर लागू होती है | इसी आशंका के चलते भाजपा हाईकमान ने मार्च में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को पैदल कर दिया था | पर क्या यह बात सिर्फ राज्यों में लागू होती है | नहीं , अपना मानना है की यह बात केंद्र में भी लागू होती है | अपन लंबे समय से लिखते रहे हैं की मोदी का ब्यूरोक्रेसी पर ज्यादा भरोसा करना उन्हें एक दिन महंगा पड़ेगा | मोदी कभी कभी तो इस बात को समझते हैं , पर थोड़े दिनों बाद फिर वही ढाक के तीन पात |

वह ब्यूरोक्रेसी पर इतना भरोसा करते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय में अपने प्रधान सचिव रहे नृपेन मिश्रा को राममंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष बनवाया | जबकि न तो राम मंदिर आन्दोलन में उन की भूमिका थी , न उन्हें निर्माण का कोई अनुभव है | अपन बिना वजह खुश हुए थे जब फरवरी में मोदी ने संसद में कहा था कि –“ सब कुछ बाबू ही करेंगे क्या | आईएएस बन गए मतलब वे फर्टिलाईजर का कारखाना भी चलाएंगे , हवाई जहाज (मंत्रालय) भी चलाएंगे | यह कौन सी बड़ी ताकत बना कर रख दी हमने | बाबुओं के हाथ में देश दे कर हम क्या करने वाले हैं | “ अपन को लगा था कि मोदी ब्यूरोक्रेसी के प्रति लोगों के आक्रोश और लोकतंत्र की अहमियत को समझने लगे हैं | पर फिर वही ढाक के तीन पात | दूसरी कोविड लहर में बाबूओं की मिसमेनेजमेंट का ठीकरा अपने सिर झेल चुके मोदी अब भी ब्यूरोक्रेसी पर उतना ही भरोसा करते हैं | हाल ही में अपन ने देखा पीएमओ से ही रिटायर हुए अफसर अश्विनी वैष्णव को पहले राज्यसभा भेजा फिर केबिनेट मंत्री बना दिया | मोदी केबिनेट में इस बार एक और आईइएस अफसर रामचन्द्र प्रसाद भी मंत्री बने हैं | उन्हें मिलाकर मोदी केबिनेट में अब 9 ब्यूरोक्रेट्स मंत्री हो चुके हैं | पीएमओ से एक अफसर को तो यूपी का डिप्टी सीएम् बनवाना चाहते थे | पर योगी खम ठोक कर खड़े हो गइ तो भाजपा का उपाध्यक्ष बनवा दिया | सारी उम्र जनता पर राज करने , उन्हें अपनी प्रजा समझने वाले ब्यूरोक्रेट्स ही मंत्री बनेंगे , वही पार्टी के पदाधिकारी बनेंगे , तो जिन्दगी भर जनकार्यों के लिए पग पग पर उन से उलझने वाले राजनीतिक कार्यकर्ताओं की लोकतंत्र में क्या भूमिका रहेगी |

खैर अब ताज़ा मुद्दा लीजिए , स्वास्थ्य मंत्रालय के ब्यूरोक्रेट्स ने एक सवाल का जवाब लिख दिया की कोविड काल में आक्सीजन की कमी की वजह से किसी की मौत नहीं हुई | इस तरह के बेतुके बयानों से सरकार की साख तो गिरती ही है , संसद की साख भी गिरती है और लोकतंत्र का मजाक भी उड़ता है | क्या नरेंद्र मोदी खुद यह बात सार्वजनिक तौर पर संसद में कह सकते हैं | सब जानते हैं की दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन का भारी संकट सामने आया था | इसमें महाराष्ट्र , यूपी, दिल्ली , हरियाणा भी शामिल थे | दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल का मामला तो सुर्ख़ियों में रहा था | जहां 25 मरीज आक्सीजन की कमी के कारण मौत का शिकार हुए थे | अस्पतालों में बेड औऱ ऑक्सीजन न मिलने से तमाम मरीजों ने दम तोड़ दिया था | सोशल मीडिया पर बेहाल मरीजों और उनके मरीजों के वीडियो ने सबको झकझोर दिया था | हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक इन मामलों की सुनवाई चली थी | ब्यूरोक्रेसी के डिनायल मोड़ वाले रटे रटाए जवाब ने मोदी सरकार को एक बार फिर संसद और जनता के कटघरे में खड़ा कर दिया है |  

 

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