नई दिल्ली। ( पीटीआई ) आईआईटी रुड़की के वैज्ञानिकों ने जामुन से एक ऐसा निर्माण किया है जिसे जानकार आप हैरान रह जाएंगे। परिसर में लगे ढेर सारे जामुन के पेड़ों उसके काले रंग को देखकर उन्होंने अनुमान लगाया कि शायद परंपरागत डाई सेंसिटाइज्ड सोलर सेल्स में जामुन मददगार साबित हो सकता है। अपने इस अनुमान से उन्होंने एक प्रभावी सोलर सेल्स (सौर बैटरी) का निर्माण कर दिखाया है।
सोलर सेल का इस्तेमाल सौर ऊर्जा से बिजली बनाने के लिए होता है। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार आईआईटी रुड़की के शोधकर्ताओं ने बताया कि जामुन में एक प्राकृतिक पिगमेंट पाया जाता है उन्होंने जिसकी मदद से किफायती डाई सेंसिटाइज्ड सोलर सेल्स (डीएसएससी) या ग्रैटजेल सेल्स के लिए फोटोसेंसिटाइजर बनाया जा सकता है।
इनकी संरचना बिल्कुल सैंडविच की तरह बनती है इसके होने से फोटोसेंसिटाइजर की प्रकाश को अवशोषित करने की क्षमता बढ़ जाती है। ग्रैटजैल बैटरी एक पतली सी सौर झिल्ली होती है जिसका निर्माण टाइटेनियम डाईऑक्साइड (टीआईओटू) की परत वाले फोटोएनोड से होता है। डाई मालिक्यूल की परत सूरज की रोशनी को अवशोषित करके इलेक्ट्रोलाइट और कैथोड की मदद से सूरज के प्रकाश को बिजली में बदल देती है।
इससे जुड़े असिस्टेंट प्रोफेसर सौमित्र सत्पथी ने बताया कि पहले शोधकर्ताओं ने एथेनॉल के प्रयोग से जामुन से डाई निकाला। इसमें उन्होंने जामुन के गूदे, सूखे हुए जामुन और जामुन के जूस में मिलने वाले पिगमेंट का भी यूज़ किया है। इसके बाद इस पूरे मिश्रण को सेंट्रीफ्यूज्ड और डीकैंटेड किया गया। जामुन के विभिन्न अवयवों से निकाले गये इस रंगीन पिगमेंट को एंथोसाइनिन कहते हैं और इसका प्रयोग सेंसिटाइजर बनाने के लिए किया जाता है।
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