सरदार पटेल को बदनाम करने की साजिश

Publsihed: 27.Jun.2018, 16:28

अजय सेतिया / सैफूदीन सोज फिलहाल कांग्रेस के नेता हैं | पहले नेशनल कांफ्रेंस में थे | नेशनल कांफ्रेंस के कोटे से देवगौड़ा और गुजराल सरकार में मंत्री रहे | नेशनल कांफ्रेंस वाजपेयी सरकार में भी शामिल थी | पर तब फारुख अब्दुला ने उन्हें मंत्री नहीं बनवाया था | जब सोनिया गांधी से सांठगाँठ कर जयललिता ने वाजपेयी से समर्थन वापस लिया | तब वाजपेयी को बहुमत साबित करना था | ठीक उसी समय सैफुद्दीन सोज़ ने फारुख को धोखा दे कर वाजपेयी के खिलाफ वोट किया | वाजपेयी की सरकार एक वोट से गिर गई थी | सो 1999 में वाजपेयी सरकार गिराने का श्रेय सोज़ को जाता है | फारुख ने सोज़ को नेशनल कांफ्रेंस से निकाल बाहर किया था | कांग्रेस ने सोज़ को इस का ईनाम दिया | उसे राज्यसभा का सदस्य बना दिया | फिर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी बनाया | मनमोहन सरकार में मंत्री भी बनाया | कांग्रेस कार्यकारिणी का सदस्य भी बनाया | विकी लीक ने खुलासा किया है कि यूपीए सरकार के समय सोज़ सरकार और अलगाववादियों में लिंक थे | अस्सी साल के सैफूद्दीन सोज़ ने अब सरदार पटेल के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है |

सैफूद्दीन सोज़ से पहले श्रीनाथ राघवन की बात | वह सेंटर फार पालिसी रिसर्च में सीनियर फैलो हैं | उन ने अपने एक ताज़ा लेख में लिखा है कि धारा 370 के आर्किटेक्ट सरदार पटेल थे | जबकि सब जानते हैं कि यह धारा नेहरू के मार्फत शेख अब्दुल जुडवाना चाहते थे | धारा का प्रारूप वह खुद लिख कर लाए थे | नेहरु ने पहले उन्हें अम्बेडकर के पास भेजा | पर अम्बेडकर ने उसे जोड़ने से साफ़ मना कर दिया | तब उन्होंने सरदार पटेल से कहा | सरदार पटेल ने भी विवादास्पद बता कर मना कर दिया | फिर नेहरू ने पटेल से कहा कि कांग्रेस कमेटी से मोहर लगवाएं | नेहरू यह काम पटेल के जिम्मे लगा कर लन्दन चले गए थे | पीछे से कांग्रेस कमेटी ने इसे खारिज कर दिया | नेहरू लौटे तो सरदार पटेल ने उन्हें लिखा कि वह कांग्रेस कमेटी से पास नहीं करवा सके | पर श्रीनाथ राघवन ने उल्टी बात लिख दी है | लगता है जब से भाजपा ने नेहरु के मुकाबले पटेल को उभारना शुरू किया है तब से पटेल की छवि बिगाड़ने की साजिश शुरू हुई है | सैफुद्दीन सोज़ की किताब उसी साजिश का हिस्सा है |

सैफूद्दीन सोज़ ने अपनी किताब में कई विवाद खड़े कर दिए हैं | पहला विवाद उन ने यह खडा किया कि कश्मीर के लोग आज़ादी चाहते हैं | दूसरा विवाद किताब के पेज 197 पर है | जिस में वह लिखते हैं कि सरदार पटेल हैदराबाद के बदले कश्मीर पाकिस्तान को देना चाहते थे | जबकि नेहरू कश्मीर पर अड़े हुए थे | यह अब तक के लिखित सबूतों के एक दम उलट है | अब तक कहीं भी इस का जिक्र नहीं आया है | पर सोज़ ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में दो बातों का जिक्र किया है | पहली बात उन ने यह कही है कि पार्टिशन काऊंसिल में यह बात कही गई थी | दूसरी बात उन ने यह कही है कि सरदार पटेल ने लियाकत अली को पेशकश भेजी थी | जिसे लियाकत अली ने नामंजूर कर दिया था | इन दोनों बातों के सबूत नहीं | वह चाहते हैं कि उन ने जो लिख दिया , उसे ही सच और सबूत मान लिया जाए | पर इस के उलट इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि पटेल कश्मीर पर किसी मौल-भाव के खिलाफ थे |

इस का सबूत है सरदार पटेल के एक भाषण का क्लिप उन्हीं की आवाज में | जिसमें उन्होंने कहा -“ जूनागढ़ में एक मक्खी भी नहीं मारनी पडी | एक हथियार चलाना नहीं पड़ा | दीवान ने खुद आ के कहा कि मेहरबानी कर के हमारी हकूमत ले लो,हम नहीं चला सकते | नवाब वहां से भाग कर कराची जा कर बैठ गया था | फिर जूनागढ़ की बात क्या करते | कश्मीर में जो चल रहा है इसी तरह से चलता रहा तो फिर लोकमत करने की क्या जरूरत है | हम लड़ाई कर के ले लें | हमारे सिपाही मरते रहें और हम पैसा खर्च करते रहें | हमारे गाँव के गाँव जलाए जाएं और वहां हिन्दू और सिखों को तबाह किया जाए | तो आखिर लोकमत कहाँ रहा | तो आखिर हमें बन्दूक से ही लेना हो,तो लेंगे , और क्या करेंगे | दूसरी तरह से नहीं हो सकता तो नहीं ,लेकिन हम ने एक बात साफ़ की है कि कश्मीर की जमीन हम छोड़ने वाले नहीं हैं, कभी नहीं | “ क्या यूट्यूब पर मौजूद सरदार का यह भाषण सेफूद्दीन सोज़ का मुहं नहीं चिढा रहा |    

 

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