मोदी सरकार का बिना पूरी तयारी के कैशलेस अभियान चलाना आप की जेब पर डाका मारना है. जब आप कोई भी चीज कैशलेस बेचते या खरीदते हैं तो फिलहाल वह किसी बिचौलिया के माध्यम से होता है. दो बडे बिचौलिए मास्टर कार्ड और विजा कार्ड के माध्यम से पिछले दो दशक से भारत में जडे जमा चुके हैं. विदेशी बैंक ही नहीं, भारत के करीब करीब सारे सरकारी बैंक भी अपने डेबिट कार्ड के लिए इन्ही दो गेट-वे का इस्तेमाल करते हैं. क्या सरकार एक ऐसी बिचौलिया प्रथा पैदा करना चाहती है, जिस से आप तो खुद को कैशलैस माडर्न कहला कर इतराएं , लेकिन आप की जेब का पैसा किसी और की जेब में चला जाए, और वह बिचौलिए की जेब भी भारतीय नहीं,बल्कि विदेशी हो.
सरकार ने जिस तरह नोटबंदी बिना पूरी तैयारी के कर डाली , नतीजतन जनता डेढ महीने से लाईनो में खडी रही और कई जगह अब भी लाईनो में खडी है, उसी तरह कैशलेस का अभियान भी बिना पूरी तैयारी के चलाया जा रहा है. अगर सरकार बिना किसी सरचार्ज और टेक्स वसूले कैशलेस लागू करने की योजना ले कर आती तो जनता उसे सहर्ष स्वीकार भी कर लेती, क्योंकि कैशलेस भ्रष्टाचार पर नकेल डालने का कारगर हथियार हो सकता है. लेकिन बिना पूरी तैयारी विदेशी गेट-वे माध्यम से आप की जेब से पैसा निकाल कर विदेशी कंपनियों को देना कहाँ की अकलमंदी है. हालांकि सरकार ने छोटे मोटे भुगतान के लिए आधार कार्ड से पेमैंट को तुरत-फुरत लागू किया है, जो आम आदमी की समझ से बाहर और आशंकाओ से भरा है. सवाल यह भी खडा होता है कि सरकार कैशलेस के जरिए विदेशी कम्पनियो को लाभ क्यो पहुंचाना चाहती है.
कैशलेस के माध्यम से आप की जेब से पैसा निकाल कर विदेशी कम्पनियो को कैसे पहुंचाया जा रही है, इस का उदाहरण देखिए . मैने भी कैशलेस होने की सोची. सोमवार को केंद्रीय सचिवालय से मेट्रो का अपना कार्ड रिचार्ज करवाना था, मैने सोचा कि चलो अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल किया जाए, जो पिछले 24 साल से मैम अधिकतर गाडी में पेट्रोल डलवाने के लिए ही इस्तेमाल करता हूं. मैने अपने क्रेडिट कार्ड से 500 रूपए का रिचार्ज करवाया. लेकिन मैट्रो स्टेशन की एटीएम मशीन ने मुझ से वसूल किए 508.63 पैसे , यानि कैशलेस ने मुझे 500 रूपए पर 8.63 रूपए का चूना लगाया. इस में से डेढ प्रतिशत के हिसाब से 7.50 रूपए मास्टर कार्ड ( या वीजा भी हो सकता है ) को बिचौलिए के रूप में मिला और 1.13 रूपए सरकार ने टैक्स वसूल लिया. अगर मैं पहले की तरह कैश से ही रिचार्ज करवाता तो मुझे 500 रूपए ही देने पडते.
मेरे सिंडिकेट बैंक के खाते का डेबिट कार्ड भी क्रेडिट कार्ड की तरह कोई विदेशी बिचौलिया ही हैंडिल करता है.वह वीजा कंपनी का कार्ड है. इस लिए अगर आप अपना डेबिट कार्ड भी इस्तेमाल करेंगे तो भी आप को वीजा या मास्टर कार्ड का गेटवे का इस्तेमाल करना पडेगा. जिस में बिचौलिए और सरकार की डकैती से बच नहीं सकते. अगर आप पूरी तरह कैशलेस हो कर महीने में 20000 रूपए का घरेलू खर्च करते हैं तो अब आप को 20000 की जगह पर 20345.20 रूपए खर्च करने होंगे. इस में से 300 रूपए विदेशी कंपनी ले जाएगी. और सरकार इस फालतू खर्चे को जबरदस्ती करवाना चाहती है, जबकि इसे जनता पर छोड देना चाहिए कि वह अपने धन का कैसे प्रयोग करना चाहती है. अगर सरकार पहले की तरह पर्याप्त करंसी उपलब्ध करवाए तो न कैशलेस होने की जरूरत है ,न फालतू खर्चे की.
पहली जनवरी से दिल्ली के दस मैट्रो स्टेशन कैशलेस हो रहे हैं, इन दस स्टेशनो पर आप के पास कोई विकल्प नहीं बचेगा.आप को किसी न किसी बिचौलिए को डेढ प्रतिशत कमिशन और सरकार को उस पर टेक्स देना ही पडेगा. सरकार ने 31 मार्च तक सरचार्ज को मुक्त किया था, लेकिन विदेशी गेट-वे कम्पनिया अपना कमिश्न क्यो छोडेंगी, और वे नहीं छोड रही.
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