अजय सेतिया / वैसे राजनीतिक दृष्टी से मैं प्रशांत किशोर को ज्यादा महत्व नहीं देता , क्योंकि वह हैं चुनाव मेनेजमेंट करने वाले ठेकेदार , लेकिन मीडिया ने उन्हें राजनीति का चाणक्य बना रखा है | इस के बावजूद पिछले पखवाड़े एक्सप्रेस अड्डा पर कही गई उन की इस बात से मैं पूरी तरह सहमत हूँ कि अगले 30 साल तक भारत की राजनीति भाजपा के इर्दगिर्द ही घूमेगी | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी 21 मई को जयपुर में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी को संबोधित करते हुए कहा कि भाजपा के लिए अगले 25 सालों का लक्ष्य तय करने और उसे हासिल करने के लिए लगातार काम करने का समय है | प्रशांत किशोर ने अपने चुनाव प्रबन्धन की यात्रा नरेंद्र मोदी के साथ ही शुरू की थी , इसलिए वह नरेंद्र मोदी की नब्ज को पहचानते हैं | मोदी ने जो बात दस दिन बाद कहनी थी , वह उन्होंने दस दिन पहले 12 मई को कह दी | असल में 2013 तक कोई सोचता नहीं था कि मई 2014 के बाद भाजपा का स्वर्ण युग शुरू होगा |
2009 में आडवाणी का करिश्मा खत्म होने के बाद भाजपा के सामने तीन विकल्प थे ,नीतिन गडकरी , राजनाथ सिंह और सुषमा स्वराज | नरेंद्र मोदी के नाम पर विचार नहीं था | उन का नाम जनता से उभर कर आया | यहीं से भाजपा और कांग्रेस में बेसिक फर्क दिखाई देता है | जब भाजपा में भी नरेंद्र मोदी का नाम कहीं नहीं था , तब 2013 में हर कोई कहने लगा था कि भाजपा नरेंद्र मोदी को आगे क्यों नहीं लाती | इस की दो वजहें थी , पहली यह कि कोई अनुभव न होते हुए भी उन्होंने गुजरात को एक माडल स्टेट बनाने में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की | दूसरी यह कि उन्होंने खुद की छवि एक मजबूत हिन्दू नेता की बनाई | इस से पहले मुख्यमंत्री के नाते यह छवि उतर प्रदेश में कल्याण सिंह ने बनाई थी , लेकिन बाबरी ढांचा टूटने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे कर सेक्यूलर राजनीति के सामने घुटने टेक दिए थे | जबकि मोदी ने गुजरात में मुस्लिम विरोधी दंगे करवाने के आरोपों का एक दशक तक सामना कर के खुद की छवि एक मजबूत हिन्दू नेता की बनाई | देश का हिन्दू साठ साल से ऐसे नेता की तलाश कर रहा था जो सेक्यूलर गैंग के सामने घुटने न टेके और उन के हितों की रक्षा करे | देश की जनता ने उन्हें 2014 के चुनावों से पहले ही चुन लिया था |
मोदी जिस तरह गुजरात की जनता के हितों की रक्षा करने में खरे साबित हुए थे , उसी तरह देश और देश की जनता के हितों की रक्षा करने में खरे साबित हुए | जैसे उन्होंने गुजरात में विकास का माडल पेश किया , उसी तरह देश में भी विकास का माडल पेश किया | दस साल के शासन के बाद यूपीए सरकार के पास गिनाने को सिर्फ एक मनरेगा था , जबकि पिछले आठ साल में नरेंद्र मोदी की आठ उल्लेखनीय उपलब्धियां हैं , जिन का दायरा असीमित है |
पहली- गरीबों के हितों में आठ उल्लेखनीय योजनाएं ( जनधन , प्रधानमंत्री बीमा पेंशन
योजना , सब के लिए आवास , उज्ज्वला योजना , आयुष्मान भारत , किसान सम्मान निधि , स्वच्छ भारत अभियान और मुद्रा योजना |) दूसरी - बहुसंख्यक हिन्दुओं में आज़ाद होने का आत्मविश्वास पैदा करने के आठ बिन्दू ( अयोध्या में भगवान राम की जन्मस्थली पर भव्य मन्दिर का निर्माण शुरू होना, भगवा आतंकवाद के झूठे आरोपों से घिरे असीमानंद साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित की रिहाई , कैलाश मानसरोवर यात्रा का दूसरा रूट खुलवाया , कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए आवटित राशि दोगुनी की ,वैष्णोंदेवी के निकट रेलमार्ग पहुंचाया , जम्मू कश्मीर में 370 समाप्त कर बराबरी का हक दिलाना , 35 ए समाप्त कर के जम्मू कश्मीर की उन हिन्दू लडकियों को प्रापर्टी का हक दिलाना जिन्होंने राज्य से बाहर शादी की , मुस्लिम देशों के हिन्दूओं को भारत की नागरिकता के दरवाजे खोलना |) तीसरी -इन्फ्रास्ट्रक्चर में रिकार्ड तोड़ उपलब्धि | जिसमें प्रमुख है 18000 गाँवों में बिजली पहुंचाना, चार धाम यात्रा के लिए आल वेदर रोड का निर्माण और राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए चीन बार्डर के करीब सडकों और पुलों का बेशुमार जाल बिछा देना | चौथी- पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राईक कर के और गलवान घाटी में चीन को मुहं तोड़ जवाब दे कर देश को स्वाभिमानी बनाना , सेना के हौंसले बुलंद करना और दुनिया को नए शक्तिशाली भारत का एहसास करवाना | पांचवीं – कोरोना का सफलतापूर्वक मुकाबला करना और पूरी दुनिया को भारत की क्षमता का कायल बनाना | छटी – अनेक विसंगतियों और विरोधों के बावजूद देश में जीएसटी के रूप में एक टेक्स प्रणाली शुरू करना | सातवीं- जब दुनिया भर की इकनामी दुश्वारियों का सामना कर रही है , भारत की इकनामी आगे बढ़ रही है | 2014 के बाद से कई सुधारों और व्यापार के अनुकूल शासन ने बाजार के पक्ष में काम किया | नतीजतन 25 मई, 2022 को बीएसई सेंसेक्स 54,379.59 पर पहुंच गया, जो 26 मई 2014 को 24,716.88 था | जीडीपी भी छलांग मार कर 7.4 पर पहुंच गई | आठवीं –यूक्रेन-रूस युद्ध के समय भारत न रूस के दबाव में आया , अमेरिका के दबाव में आया ,भारत ने आक्रमक विदेश नीति से दुनिया को एहसास करवाया कि भारत अब कमजोर देश नहीं |
मोदी का शासन, उनकी भावनात्मक अपील और आम आदमी से जुड़ाव इतना गहरा है,वह सर्वोच्च विजेता बने हुए हैं | वह देश के पहले प्रधानमंत्री हैं , जो 80 प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करते हैं | उन्होंने करोड़ों लोगों की नियति को प्रभावित करके दिल जीत लिया |
आज ब्रांड मोदी राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अधिक जीतने योग्य नेता है,जबकि उनकी अनुमोदन रेटिंग वैश्विक स्तर पर 70 प्रतिशत के उच्च स्तर पर पहुंच गई है, जो कि इतिहास में सबसे
अधिक डायस्टोपियन समय के दौरान किसी भी नेता को दी गई उच्चतम रेटिंग है |
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