गोदी मीडिया की पोल खुल गई

Publsihed: 12.Dec.2023, 21:16

इंडिया गेट से अजय सेतिया/ कर्नाटक के चुनाव नतीजों के बाद जो पत्रकार उच्छल कर भविश्यवाणी कर रहे थे कि 2024 में मोदी का अंत हो रहा है| मैं ऐसे कई पत्रकारों को जानता हूँ, जो गोदी मीडिया गोदी मीडिया का शोर मचाते हैं, जबकि वे खुद सारी उम्र कांग्रेसियों और कम्युनिस्टों की गोदी में बैठे रहे हैं| वे अब कहीं दिखाई नहीं दे रहे| जिस दिन चुनाव नतीजे आ रहे थे, उस दिन सब के हाथों के तोते उड़े हुए थे, जो छतीसगढ़ मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जीतने की भविश्यवाणी कर रहे थे| हर रोज मोदी और अमित शाह को गाली देने वाले ये सो-काल्ड पत्रकार 370 हटाने को भी असंवैधानिक बता रहे थे| बिना किसी प्रूफ के लद्दाख में चीन के घुस आने का झूठ फैला रहे थे| चुनावों में महंगाई, जीडीपी के न जाने कितने झूठ फैला रहे थे| तो यह सब किस लिए कर रहे थे| वे समझते थे कि वोटर मूर्ख है, और उनकी बातों में आकर कांग्रेस को जीता देगा| इनमें से कोई भाजपा के जीतने की भविश्यवाणी नहीं कर सका| वे अब छतीसगढ़ में आदिवासी, मध्यप्रदेश में ओबीसी और राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाने पर भी रो पीट रहे हैं कि ऐसे तो भाजपा सभी जातियों के वोट खा लेगी| जो राहुल गांधी के जाति आधारित जनगणना का समर्थन कर रहे हैं, वे मोदी पर जाति देख कर मुख्यमंत्री बनाने की की आलोचना कर रहे हैं , जो पत्रकारिता के नाम पर राजनीति करते हैं, उन्हें न पत्रकारिता करनी आती है, न राजनीति का क ख ग आता है|

एक पत्रकार हैं आशुतोष| उनको अपनी लोकप्रियता पर भ्रम हो गया था| इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए, लोकसभा चुनाव लड़ कर अपनी जमानत जब्त करवा ली| उसके बाद भी उनको लगता था कि वह बहुत लोकप्रिय हैं, इंटेलेक्चुअल हैं, इसलिए केजरीवाल को उन्हें राज्यसभा भेजना चाहिए| केजरीवाल की भक्ति में एक दिन वह भाजपा दफ्तर पर प्रदर्शन करने चले गए| वहां प्रदर्शनकारियों को पार्टी दफ्तर की दीवार फांदने के लिए उकसाया, खुद भी दरवाजे पर चढने लगे, तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा| ऐसा व्यक्ति निष्पक्ष पत्रकार कैसे हो सकता है| यह वही आशुतोष हैं, जिन्हें मेरी आँखों के सामने काशी राम ने थप्पड़ मार कर दौडाया था| क्योंकि वह कांशी राम के घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे, जबरदस्ती उनके मुहं में माईक दाल रहे थे| एक बार रोहित सरदाना ने उनको टीवी चेनल की डिबेट में पूरी तरह धो दिया था, सरदाना ने उनसे कहा था कि  आप टीवी चेनल के संपादक की कुर्सी पर बैठ कर एक पार्टी का चुनाव प्रचार करते थे| ऐसे ही एक रविश कुमार भी हैं, जो दिन रात मोदी-शाह का नाम जपते हैं|

मैंने आशुतोष का जिक्र इसलिए किया क्योंकि चुनावों के दौरान वह कई टीवी चेनलों पर बोद्धिक ज्ञान देने जा रहे थे| लेकिन वह तीनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनवा रहे थे| वह तर्क दे रहे थे कि छतीसगढ़ में तो कांग्रेस सौ फीसदी जीतेगी, मध्यप्रदेश में कांग्रेस छतीसगढ़ से भी ज्यादा सीटों से जीतेगी| राजस्थान में अशोक गहलोत ने बहुत काम किया है, भाजपा के पास हिन्दू मुस्लिम के सिवा कोई एजेंडा ही नहीं है| इसलिए वहां भी कांग्रेस जीतेगी, लेकिन जिस दिन चुनाव नतीजे आए, उस दिन वरिष्ठ पत्रकार राजगोपाल ने उन्हें ऐसा धोया कि वह डिबेट छोड़ कर भागने लगे| डिबेट टाईम्स नाऊ पर हो रही थी| आज मैंने यह वीडियो इस लिए बनाया है, ताकि जनता उन पत्रकारों के असली रूप को पहचाने, जो सही परिपेक्ष्य में बात कहने वाले हर पत्रकार को गोदी मीडिया कह देते हैं| जिस किसी के मुहं से आप गोदी मीडिया का शब्द सुनोगे, समझ लेना वह खुद भांड पत्रकार है|  

आसुतोष जैसे अनेक पत्रकार आप को यूट्यूब पर ज्ञान देते मिल जाएंगे, जिनके मिलियन मिलियन फाल्वर्स हैं, उनकी हर बात मोदी के खिलाफ होगी, विपक्ष की तारीफ़ करने वाली होगी| नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ थे, तो रोज उन्हें गाली निकालते थे, वह भाजपा को छोड़कर लालू के साथ चले गए, तो कई महीनों तक उन्हें प्रधानमंत्री बनाते घूम रहे थे| वे वास्तव में राहुल गांधी और इंडी एलायंस के लिए काम करते हैं| कोई आपको चीन की वेबसाईट के लिए काम करता दिख जाएगा, कोई बीबीसी में मोदी खिलाफ झूठ फैलाता दिखाई देगा| अब जब कांग्रेस का 400 करोड़ रूपए का काला धन पकड़ा गया है, तो इन सब के मुहं पर ताला लगा है|   

कर्नाटक के चुनाव नतीजों के बाद जो पत्रकार उच्छल कर भविश्यवाणी कर रहे थे कि 2024 में मोदी का अंत हो रहा है| मैं ऐसे कई पत्रकारों को जानता हूँ, जो गोदी मीडिया गोदी मीडिया का शोर मचाते हैं, जबकि वे खुद सारी उम्र कांग्रेसियों और कम्युनिस्टों की गोदी में बैठे रहे हैं| वे अब कहीं दिखाई नहीं दे रहे| जिस दिन चुनाव नतीजे आ रहे थे, उस दिन सब के हाथों के तोते उड़े हुए थे, जो छतीसगढ़ मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जीतने की भविश्यवाणी कर रहे थे| हर रोज मोदी और अमित शाह को गाली देने वाले ये सो-काल्ड पत्रकार 370 हटाने को भी असंवैधानिक बता रहे थे| बिना किसी प्रूफ के लद्दाख में चीन के घुस आने का झूठ फैला रहे थे| चुनावों में महंगाई, जीडीपी के न जाने कितने झूठ फैला रहे थे| तो यह सब किस लिए कर रहे थे| वे समझते थे कि वोटर मूर्ख है, और उनकी बातों में आकर कांग्रेस को जीता देगा| इनमें से कोई भाजपा के जीतने की भविश्यवाणी नहीं कर सका| वे अब छतीसगढ़ में आदिवासी, मध्यप्रदेश में ओबीसी और राजस्थान में ब्राह्मण मुख्यमंत्री बनाने पर भी रो पीट रहे हैं कि ऐसे तो भाजपा सभी जातियों के वोट खा लेगी| जो राहुल गांधी के जाति आधारित जनगणना का समर्थन कर रहे हैं, वे मोदी पर जाति देख कर मुख्यमंत्री बनाने की की आलोचना कर रहे हैं , जो पत्रकारिता के नाम पर राजनीति करते हैं, उन्हें न पत्रकारिता करनी आती है, न राजनीति का क ख ग आता है|

एक पत्रकार हैं आशुतोष| उनको अपनी लोकप्रियता पर भ्रम हो गया था| इस्तीफा देकर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए, लोकसभा चुनाव लड़ कर अपनी जमानत जब्त करवा ली| उसके बाद भी उनको लगता था कि वह बहुत लोकप्रिय हैं, इंटेलेक्चुअल हैं, इसलिए केजरीवाल को उन्हें राज्यसभा भेजना चाहिए| केजरीवाल की भक्ति में एक दिन वह भाजपा दफ्तर पर प्रदर्शन करने चले गए| वहां प्रदर्शनकारियों को पार्टी दफ्तर की दीवार फांदने के लिए उकसाया, खुद भी दरवाजे पर चढने लगे, तो पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा| ऐसा व्यक्ति निष्पक्ष पत्रकार कैसे हो सकता है| यह वही आशुतोष हैं, जिन्हें मेरी आँखों के सामने काशी राम ने थप्पड़ मार कर दौडाया था| क्योंकि वह कांशी राम के घर में घुसने की कोशिश कर रहे थे, जबरदस्ती उनके मुहं में माईक दाल रहे थे| एक बार रोहित सरदाना ने उनको टीवी चेनल की डिबेट में पूरी तरह धो दिया था, सरदाना ने उनसे कहा था कि  आप टीवी चेनल के संपादक की कुर्सी पर बैठ कर एक पार्टी का चुनाव प्रचार करते थे| ऐसे ही एक रविश कुमार भी हैं, जो दिन रात मोदी-शाह का नाम जपते हैं|

मैंने आशुतोष का जिक्र इसलिए किया क्योंकि चुनावों के दौरान वह कई टीवी चेनलों पर बोद्धिक ज्ञान देने जा रहे थे| लेकिन वह तीनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनवा रहे थे| वह तर्क दे रहे थे कि छतीसगढ़ में तो कांग्रेस सौ फीसदी जीतेगी, मध्यप्रदेश में कांग्रेस छतीसगढ़ से भी ज्यादा सीटों से जीतेगी| राजस्थान में अशोक गहलोत ने बहुत काम किया है, भाजपा के पास हिन्दू मुस्लिम के सिवा कोई एजेंडा ही नहीं है| इसलिए वहां भी कांग्रेस जीतेगी, लेकिन जिस दिन चुनाव नतीजे आए, उस दिन वरिष्ठ पत्रकार राजगोपाल ने उन्हें ऐसा धोया कि वह डिबेट छोड़ कर भागने लगे| डिबेट टाईम्स नाऊ पर हो रही थी| आज मैंने यह वीडियो इस लिए बनाया है, ताकि जनता उन पत्रकारों के असली रूप को पहचाने, जो सही परिपेक्ष्य में बात कहने वाले हर पत्रकार को गोदी मीडिया कह देते हैं| जिस किसी के मुहं से आप गोदी मीडिया का शब्द सुनोगे, समझ लेना वह खुद भांड पत्रकार है|  

आसुतोष जैसे अनेक पत्रकार आप को यूट्यूब पर ज्ञान देते मिल जाएंगे, जिनके मिलियन मिलियन फाल्वर्स हैं, उनकी हर बात मोदी के खिलाफ होगी, विपक्ष की तारीफ़ करने वाली होगी| नीतीश कुमार जब भाजपा के साथ थे, तो रोज उन्हें गाली निकालते थे, वह भाजपा को छोड़कर लालू के साथ चले गए, तो कई महीनों तक उन्हें प्रधानमंत्री बनाते घूम रहे थे| वे वास्तव में राहुल गांधी और इंडी एलायंस के लिए काम करते हैं| कोई आपको चीन की वेबसाईट के लिए काम करता दिख जाएगा, कोई बीबीसी में मोदी खिलाफ झूठ फैलाता दिखाई देगा| अब जब कांग्रेस का 400 करोड़ रूपए का काला धन पकड़ा गया है, तो इन सब के मुहं पर ताला लगा है|   

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